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ॐ नमो श्री माताजी ॐ नमो श्री माताजी ॐ नमो श्री बालाजी ॐ नमो श्री बालाजी ॐ नमो श्री माजीसा ॐ नमो श्री माजीसा ॐ नमो श्री बाबोसा ॐ नमो श्री बाबोसा बाबोसा तरण तारण हैं। भक्तों के भगवान्॥ चालीसा नित उठ पढूं। करने निज कल्याण॥ पूजनीय श्री बाबोसा का। मंत्राक्षर है नाम॥ उनके पावन नाम फलते वंचित काम॥ जय श्री बाबोसा। जय जय बाबोसा उपकारी। भक्तों के हैं पालनहारी॥ बाबोसा प्रभुवर परमेश्वर। बाबोसा देवों के देव॥ बाबोसा पुरुषोतत्म इश्वर। बाबोसा कुलदीप जिनेश्वर।। जन्म स्थान है चूरू नगरी। माँ छग्नि के नंदन प्यारे॥ माघशुक्ला की पंचमी आई। जन्मे श्री बाबोसा ज्ञानी॥ भाद्रव शुक्ला की पंचमी आई। स्वर्ग पधारे बाबोसा ज्ञानी॥ मिन्ग्सर शुक्ला की पंचमी आई। हनुमत रूप विराजे ज्ञानी॥ भव-भव भंजक पाप निकंदन। संकताप विनाशक चंदन॥ भक्त लगाए ध्यान जहाँ पर। पहुँचे बाबोसा आप वहां पर॥ अक्षर अतुल शक्ति के स्वामी। घट-घट के हो अन्तर्यामी॥ बाबोसा के हम अनुयायी। दर्शन दो बाबोसा सुखदायी॥ भक्तजनों के भाग्य संवारे। कोठारी कुलदीप कहाए॥ भव-भव की सब पीड़ मिटाते। ज्ञान-भक्ति के दीप जलाते॥ जाप तुम्हारा भूत भगाता। ऊपर की सब छांव मिटाता॥ अमृत वाणी का पान कराया। लाखों जन को तृप्त बनाया॥ देव वाणी का शंख बजाया। जन्म-जन्म का रोग मिटाया॥ चूरू में सब रंग लगाया। भक्तों का उद्धार कराया॥ मंगलकारी जाप तुम्हारा। भक्तों को मिल जाए किनारा॥ पावन दर्शन देव तुम्हारा। मंजु का है भाग्य-सहारा॥ बजरंगी का लाल कहाए। है यह सच-मुच सच्चा पन्ना॥ नाम तुम्हारा शुभ-फल दाता। भूत-प्रेत भय दूर भागता॥ अन्तर्यामी शिव-पथ गामी। चार तीर्थ के सच्चे स्वामी॥ बालाजी के हो अवतारी। भक्तों के हो संकट हारी॥ स्वर्गलोक में बिगुल बजाया। भक्तों को दर्शन दिखलाया॥ सुधा तुल्य है तेरी वाणी। सुन हर्षित होते नर-नारी॥ तेरी करूणा यदि हो जाए। अँधा देखे गूंगा गाए॥ बिन पानी के नाव चलाए। आंधी में ज्योत जलाए॥ हम सब हैं तेरी फुलवारी। तू है इस बगिया का माली॥ तेरी महिमा सबसे न्यारी। तू है प्रभु बाल ब्रहमचारी॥ तुझ को हर पल याद करे जो। उसका पालन-हार बने तू॥ जो तेरी जयकार लगाए। उसका बेडा पार लगाए॥ भक्तों को एक डोर में लाए। प्रेम-भाव का श्रोत बहाए॥ श्री बालाजी का रूप कहाए। बजरंगी के मनन को भाए॥ बाबोसा आप हो घट-घट ज्ञाता। भक्तों के हो भाग्य-विधाता॥ इन चरणों में मन रम जाए। यमराज फिर निकट न आए॥ बाबोसा रूं रूं बस जाए। उनके पाप प्रलय हो जाए॥ चालीसा यह भाग्य विधाता। जन-जन को है यह सुखदाता॥ लीले की असवारी करता। भक्तों के दुःख पल में हरता॥ तांती शुभ है जल है पावन। और भभूत है कष्ट निवारण॥ जीवन-धन बनता संस्कारी। स्थिर-मन पाठ करो नर-नारी॥ जय हो - माँ छ्गनी लाल की। जय हो - श्री बाबोसा महाराज की। जय हो - श्री दुःख निकंदन की। जय हो - श्री बालाजी महाराज की। जय हो - श्री माता रानी माँ की। |
JAI SHREE BABOSA
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